रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

मेरे बारे में
कल्पना रामानी
Showing posts with label भोर का तारा छिपा जाने किधर है. Show all posts
Showing posts with label भोर का तारा छिपा जाने किधर है. Show all posts

Monday, 9 December 2013

भोर का तारा छिपा जाने किधर है

चित्र से काव्य तक














आज खबरों में जहाँ जाती नज़र है।
रक्त में डूबी हुई, होती खबर है।
 
फिर रहा है दिन उजाले को छिपाकर,
रात पूनम पर अमावस की मुहर है।
 
ढूँढते हैं दीप लेकर लोग उसको,
भोर का तारा छिपा जाने किधर है।  
 
डर रहे हैं रास्ते मंज़िल दिखाते,
मंज़िलों पर खौफ का दिखता कहर है।
 
खो चुके हैं नद-नदी रफ्तार अपनी,
साहिलों की ओट छिपती हर लहर है।
 
साज़ हैं खामोश, चुप है रागिनी भी,
गीत गुमसुम, मूक सुर, बेबस बहर है।  
 
हसरतों के फूल चुनता मन का माली,
नफरतों के शूल बुनती सेज पर है। 
 
आज मेरा देश क्यों भयभीत इतना,
हर गली सुनसान, सहमा हर शहर है।

---------- कल्पना रामानी

समर्थक

सम्मान पत्र

सम्मान पत्र