रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

मेरे बारे में
कल्पना रामानी
Showing posts with label पर्यावरण-खिड़की बाँस की. Show all posts
Showing posts with label पर्यावरण-खिड़की बाँस की. Show all posts

Monday, 25 May 2015

खिड़की बाँस की

खुल गई मन-अंजुमन में, एक खिड़की बाँस की
झूमती आई गज़ल, कहने कहानी बाँस की

किस तरह साँचे ढला यह, अनगिनत हाथों गुज़र    
श्रम-नगर गाथा सुनाता, दीर्घ-जीवी बाँस की

वन से हरियाला चला फिर, खूब इसे छीला गया
इस तरह चौके बिछी, चिकनी चटाई बाँस की

सिर चढ़ा सोफा चिढ़ाता जब उसे तो फ़ख्र से
हम किसी से कम नहीं, कहती है कुर्सी बाँस की

गाँव-शहरों से अलग, हर लोभ लालच से परे
दे रही आकार इन्हें फ़नकार बस्ती बाँस की

रस-ऋचाओं से नवाज़ा, गीत-कविता ने इसे
शायरी ने भी बजाई खूब बंसी बाँस की  

करके हत्या, वन-निहत्थों की मगन हैं आरियाँ
हत हुई है साधना, तपते तपस्वी बाँस की

इस नियामत की हिफाज़त कल्पना मिलकर करें  
रह न जाए सिर्फ पन्नों, पर निशानी बाँस की

-कल्पना रामानी  

समर्थक

सम्मान पत्र

सम्मान पत्र