रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

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कल्पना रामानी

Sunday, 18 October 2015

मुस्कान देख मेरी है मुस्कुराता मौसम

चित्र से काव्य तक
मुस्कान देख मेरी, है मुसकुराता मौसम। 
तुम आ रहे हो मिलने, यह जान जाता मौसम।

आती बहार अचानक, खिल जातीं सुर्ख कलियाँ
स्वागत में ख़ुशबुओं की जाजम बिछाता मौसम

लेकर तुम्हारी पाती, चल देती जब चमन को
धुन प्रेम की बजाकर, सँग गुनगुनाता मौसम

रंगत बदलती मुख की, नटखट ये भाँप लेता
आकर निकट रँगीला, मुख चूम जाता मौसम

प्यारा ये मेरा साथी, कभी झूलना झुलाता
कभी बन परिंदा मुझको, नभ में उड़ाता मौसम     

खुश देखता तो खुश हो, जी भर के खिलखिलाता
पर देख उदास मुझको, हर विधि रिझाता मौसम

अब आ भी जाओ प्रिय तुम, कहीं लौट ही न जाए
यह कल्पना पुलक से, पलकें बिछाता मौसम

-कल्पना रामानी 

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