रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

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कल्पना रामानी

Monday, 5 June 2017

बेटी का हक़ अगर

प्यारी बिटिया के लिए चित्र परिणाम
बेटी का हक, अगर आपने छीना तो
बुरा हाल हे मनुज! तुम्हारा होगा, तो

देर न होगी, बाँझ धरा के होने में
जीव-जन्म का, अगर सिलसिला टूटा तो

प्रलय-पृष्ठ पर करने होंगे हस्ताक्षर
सृष्टि-चक्र को अगर अँगुष्ठ दिखाया तो
 
समाधिस्थ होना तय है हर जीवन का
समाधान यदि आज ही नहीं सोचा तो

नाश वरण कर लेगा, इस सुंदर जग का 
अनजन्मी बेटी का मरण न रोका तो

कलियुग एक, कथा बनकर रह जाएगा
सार-कथ्य का नहीं कल्पनासमझा तो 

- कल्पना रामानी

2 comments:

Onkar said...

सार्थक रचना

ज्योति-कलश said...

सुन्दर भावधारा !

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