रचना चोरों की शामत

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कल्पना रामानी

Sunday 11 May 2014

माँ की दुआ



ब्रह्म के ब्रह्मांड पर, उपकार है माँ की दुआ।
दैव्य से हमको मिला, उपहार है माँ की दुआ।
 
भोग भव के हैं सभी, फीके अगर संतान को
मिल न पाए जो भुवन का, सार है माँ की दुआ।
 
माँ के होते छू लें हमको, कटु हवाएँ, क्या मजाल
पीर से माँगी हुई, मनुहार है माँ की दुआ।
 
शक्ति का यह वृत्त है, संतान को घेरे हुए
काल भी झुकता ये वो, दरबार है माँ की दुआ।
 
ज़िंदगी का पुण्य हर, करती है अर्पण माँ हमें
प्रार्थनाओं से भरा, आगार है माँ की दुआ। 
 
व्याधियों में संग रहती, है सदा साया बनी
हर तरह की व्याधि का, उपचार है माँ की दुआ।
 
भाँप लेती मुश्किलों को, ओट से अज्ञात की
बन कवच आ जाती ऐसा, प्यार है माँ की दुआ।
 
लाख हों दुश्मन बली, पर है हमारी जय अभंग
साथ बलशाली अगर, तलवार है माँ की दुआ।
 
छोडकर इह लोक माँ, चाहे बसे परलोक में
पर सदा हमसे जुड़ा, वो तार है माँ की दुआ।
 
अर्ज़ है यह कल्पना’, सुख सर्व को माँ का मिले
हर सुखी परिवार का, आधार है माँ की दुआ।  


-कल्पना रामानी

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