अंतर्घट की प्यास बुझाता, नाम कृष्ण का।
सदा मोक्ष का द्वार दिखाता, नाम कृष्ण का।
मानव-मन पर असुर दैत्य जब हावी होते
मलिन हृदय निर्मल कर जाता, नाम कृष्ण का।
भवसागर में जब नैया, हिचकोले खाती
बन पतवार, किनारे लाता, नाम कृष्ण का।
राह भटकता अन्तर्मन, आलोकित करके
गीता के संदेश सुनाता, नाम कृष्ण का।
निराकार है, पर देखें यदि, ध्यान लगाकर
सगुण ब्रह्म का बोध कराता, नाम कृष्ण का।
लाख बलाएँ, रोग, दोष, हों भू पर काबिज
हर बाधा को हर ले जाता, नाम कृष्ण का।
गोकुल-मथुरा मध्य उफनती, यमुना का जल
पुरा काल से याद दिलाता, नाम कृष्ण का।
भादों में जब कृष्ण जन्म का, पर्व मनाते
भारत-भू पावन कर जाता, नाम कृष्ण का।
यूँ तो हैं भगवान ‘कल्पना’ सभी बराबर
पर खुद से पहचान कराता, नाम कृष्ण का।
1 comment:
बहुत सुन्दर रचना ..
नाम के महिमा अनंत होती है ... बस दिल से निकलनी चाहिए
जय श्रीकृष्ण !!
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