रचना चोरों की शामत

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कल्पना रामानी

Friday, 19 August 2016

रक्षा-बंधन पर्व मनाने सावन आया


रसमय स्नेह-सुधा बरसाने, सावन आया 
रक्षाबंधन पर्व मनाने, सावन आया 

पीहर से पिय घर तक स्नेहिल-सेतु बनाकर 
बहनों का सम्मान बढ़ाने, सावन आया 

बोल रही रस घोल कान में, हवा बहन के
चलो मायके रंग जमाने, सावन आया 

अहं-तिमिर से आब खो चुके बुझे दिलों में 
पावनता की ज्योत जगाने, सावन आया 

झूम रहा हर पेड़, देख पाँतें झूलों की 
डाल-डाल पर पींग बढ़ाने, सावन आया 

मचल रही पग-हाथ रचाने, हिना, बहन के 
पायल-धुन पर गीत सुनाने, सावन आया 

राखी बँधी कलाई-कर से हम बहनों को 
नेह-नेग अधिकार दिलाने, सावन आया 

टूट रहे जो आज ‘कल्पना’ पावन रिश्ते 

उनमें फिर से गाँठ लगाने, सावन आया 


-कल्पना रामानी

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