स्वतंत्रता
की वर्षगाँठ है, शिखर-शिखर पर तान।
लहराएँगे
आज तिरंगा, पूर्ण मान सम्मान।
अगस्त
पंद्रह सैंतालिस का दिन पावन था वो
मुक्त
हुआ जब फिरंगियों से अपना हिंदुस्तान।
ज्यों
ही ले संदेश चल पड़ी, सुरभित नवल
हवा
पाखी
भी वंदन को पहुँचे,
तय कर अथक उड़ान।
करने
को अभिषेक आ गए, उमड़-घुमड़ बदरा
कहीं
बज उठे शंख-घंटियाँ, गूँजी कहीं अजान।
नन्हें
बालक, नन्हें झंडे टाँगे वस्त्रों में
घूम
रहे हैं लिए हाथ में, दोने भर मिष्ठान।
मैदानों
में भी परेड के खूब नज़ारे हैं
कहीं
ध्वनित है मधुर सुरों में, जन-गण-मन जय गान।
इस
दिन वीर शहीदों को भी याद सभी करते
जो
यौवन में हुए देश पर तन मन से कुर्बान।
अब
ऐसे संकल्प प्रगति के, मिलकर सभी करें।
बनी
रहे ज्यों भारत-माँ की सबसे ऊँची शान।
रहे
‘कल्पना’ सदा अखंडित आज़ादी प्यारी
युगों-युगों
तक तना रहे, यह प्यारा अमर निशान।
-कल्पना रामानी
No comments:
Post a Comment