करना है पयपान, सुनो हे नाग देवता!
पर
पहले जल-स्नान, सुनो हे नाग देवता!
आज
पर्व है नागपंचमी, तुम्हें पूजकर
माँगूँगी
वरदान, सुनो हे नाग देवता!
तुम्हें
साथ ले दीन सपेरे, बीन बजाकर
चले
माँगने दान, सुनो हे नाग देवता!
मुझे
पता है, सिर्फ तुम्हारी केंचुल काली
पर
मन तनिक न म्लान, सुनो हे नाग देवता!
सच
है, सोच समझ ही जग-हित, जीव-जीव को
रचता
दयानिधान, सुनो हे नाग देवता!
काल
नहीं तुम, मगर तुम्हें जो व्यर्थ सताते
वही
गँवाते जान, सुनो हे नाग देवता!
करते
हैं बदनाम तुम्हें, जो दंश देश के
कहलाते
इंसान, सुनो हे नाग देवता
ज़हर लोभ का, चूस ‘कल्पना’, शहर-शहर से
गाँवों
को दो प्राण, सुनो हे नाग देवता!
-कल्पना रामानी
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