मानसूनी बारिश के, क्या हसीं नज़ारे हैं।
रंग सारे धरती पर, इन्द्र ने उतारे हैं।
छा गया है बागों में, सुर्ख रंग कलियों
पर
तितलियों के भँवरों से, हो रहे इशारे
हैं।
सौंधी-सौंधी माटी में, रंग है उमंगों का
तर हुए किसानों के, खेत-खेत प्यारे हैं।
मेघों ने बिछाया है, श्याम रंग का आँचल
रात हर अमावस है, सो गए सितारे हैं।
सब्ज़ रंगी सावन ने, सींच दिया है जीवन
बूँद-बूँद बारिश ने, मन-चमन सँवारे हैं।
भर दिये हैं रिमझिम ने, प्रेम रंग जन-जन
में
मन को बहलाने के, ये सुखद सहारे हैं।
भाव रंग बरखा के, गा रहे सुमंगल गीत
धार-धार अमृत से, तृप्त स्रोत सारे हैं।
ज्यों बदलते मौसम हैं, रंग भी बदल जाते
‘कल्पना’ जुड़े इनसे, शुभ दिवस हमारे हैं।
-कल्पना रामानी
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