गीत
मैं रचती रहूँगी, मीत, यदि तुम पास हो तो
मैं ग़ज़ल कहती रहूँगी, गर सुरों में साथ दो तो
मैं
नदी होकर भी प्यासी, आदि से हूँ आज दिन तक
रुख
तुम्हारी ओर कर लूँ, तुम जलधि बनकर बहो तो
सच
कहे जो आइना वो, आज तक देखा न मैंने
मैं
सजन सजती रहूँगी, तुम अगर दर्पण बनो तो
इस
जनम में तुमको पाया, धन्य है यह नारी-जीवन
फिर
जनम लेती रहूँगी, हर जनम में तुम मिलो तो
नष्ट
हो तन, तो ये मन, भटकेगा भव की वाटिका में
बन
कली खिलती रहूँगी, तुम भ्रमर बन आ सको तो
प्यार, वादे और
कसमें, इंतिहा अब हो चुकी है
साथ
जीवन भर रहूँगी, इक घरौंदा तुम बुनो तो
खो
भी जाऊँ “कल्पना”, तो ढूँढना इन वादियों में
प्रतिध्वनित
होती रहूँगी, तुम अगर आवाज़ दो तो
-कल्पना रामानी
6 comments:
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बृहस्पतिवार- 26/03/2015 को
हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः 44 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,
बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना.
नई पोस्ट : बिन रस सब सून
बहुत ही सुंदर अग्रजा ...वाह ...!
बहुत ही सुन्दर रचना
बहुत ही सुन्दर रचनाऐ हार्दिक बधाई एंव शुभकामनाएँ
Columbus Day 2019
life of christopher columbus
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