
मेरी प्यारी भोली बिटिया।
घर भर की हमजोली बिटिया।
चहक चमन की, महक सदन की
कोयलिया की बोली बिटिया।
पर्वों को जीवंत बनाती
आँगन सजा रँगोली बिटिया।
लँगड़ी, टप्पा, खो-खो, रस्सी
खेल-खेल की टोली बिटिया।
गली-मुहल्ले बाँटा करती
झर-झर हँसी-ठिठोली बिटिया।
देव-दैव्य से माँग दुआएँ
ले आती भर झोली बिटिया।
कड़ुवाहट का नाम न लेती
खट-मिट्ठी सी गोली बिटिया।
नाज़ ‘कल्पना’ हर उस घर को
जिस घर माँ! पा! बोली बिटिया।
- कल्पना रामानी
2 comments:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (08-06-2017) को
"सच के साथ परेशानी है" (चर्चा अंक-2642)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
बहुत सुन्दर
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