रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

मेरे बारे में
कल्पना रामानी

Sunday, 11 September 2016

जब से कर ने गही लेखनी

जब से कर ने गही लेखनी
शीश तान चल पड़ी लेखनी

बिन लाँघे देहरी-दीवारें
दुनिया भर से मिली लेखनी

खूब शिकंजा कसा झूठ ने  
मगर न झूठी बनी लेखनी 

हारे छल-बल, रगड़ एड़ियाँ  
कभी न लेकिन झुकी लेखनी

कभी नहीं सम्मान खरीदे
मान बचाती रही लेखनी 

हर मौसम के रंगों में रँग
रही बाँटती खुशी लेखनी

परिचित मुझसे हुआ तभी जग
जब परिचय से जुड़ी लेखनी

जीवन भर अब साथ कल्पना
चिरजीवी चिरजयी लेखनी 

-कल्पना रामानी

No comments:

समर्थक

सम्मान पत्र

सम्मान पत्र