रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

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कल्पना रामानी

Wednesday, 18 May 2016

बेटियों पर चर्चा हो

 
अगर कहीं भी बंधु, चिरागों चर्चा पर हो
भव-भूतल के बिसरे कोनों पर चर्चा हो

व्यर्थ विलाप, निराशा, रुदन, विसर्जित करके 
लक्ष्य-साधना, कर्म, हौसलों पर चर्चा हो

सुमन सभी, खुश-रंग सुरभि, देते बगिया को
नहीं ज़रूरी, सिर्फ गुलाबों पर चर्चा हो

नाम हमारा भव में, चर्चित हो न हो मगर
चाह, कलम केअमृत-भावों पर चर्चा हो

सार जहाँ हो, ज्ञान-सिंधु की बूँद-बूँद में
ऐसी सरल, सुभाष्य किताबों पर चर्चा हो

छोड़ो भी, अब नीरस जीवन का नित रोना
रसमय, गीत, ग़ज़ल, कविताओं पर चर्चा हो

बेदम हो जब भूख, रोटियाँ घर-घर पहुँचें
तभी आसमाँ, चाँद-सितारों पर चर्चा हो

सदी कह रही सुनो कल्पनासमय आ गया
बेटों से रुख मोड़, बेटियों पर चर्चा हो   

-कल्पना रामानी  

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