रचना चोरों की शामत

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कल्पना रामानी

Thursday, 17 December 2015

नए साल में


खुशियों की नव-ज्योत जगाएँ, नए साल में।
उत्सव मिलकर आज मनाएँ, नए साल में।

कल खोया तो, अब पाने को, डटे रहें हम
भूल पुराना नव अपनाएँ, नए साल में।

काल न रोके कभी रुका, यह सत्य सनातन
साथ उसी के बढ़ते जाएँ, नए साल में।

पुनः जोश से हिम्मत का कर थाम निडर हो
अविजय को जय करके आएँ, नए साल में।

रात उजालों से हारी, हैं सदियाँ साक्षी
तमस काट नव-दीप जलाएँ, नए साल में।
धार इरादों की तीखी हो, प्रण हों पुख्ता
काँटों में भी राह बनाएँ, नए साल में।

शुभ कर्मों से हासिल कर सम्मान "कल्पना"
भारत माँ की शान बढ़ाएँ, नए साल में।

-कल्पना रामानी

1 comment:

Yogi Saraswat said...

स्वागत ! शानदार अल्फ़ाज़ों से सजी गजल ! नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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