रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

मेरे बारे में
कल्पना रामानी

Sunday 10 August 2014

प्यार रेशमी डोरी में





छिपा हुआ रक्षाबंधन का, सार रेशमी डोरी में।
गुंथा हुआ भाई बहना का, प्यार रेशमी डोरी में।
 
कहीं बसे बेटी लेकिन, हर साल मायके आ जाती,
सजी धजी लेकर सारा, अधिकार रेशमी डोरी में।
 
बड़ा सबल होता यह रिश्ता, स्वस्थ भाव, बंधन पावन,
गहन विचारों का होता, आधार रेशमी डोरी में।
 
विदा बहन होती जब कोई, एक वायदा ले जाती,
जुड़े रहेंगे मन के सारे, तार रेशमी डोरी में।
 
विनय यही, हों दृढ़ जीवन में, ये सदैव रिश्ते नाते,
रहे चमकता सतरंगी, संसार रेशमी डोरी में।


------कल्पना रामानी    

3 comments:

कालीपद "प्रसाद" said...

बहुत सुन्दर ग़ज़ल !
मेघ आया देर से ......
: महादेव का कोप है या कुछ और ....?

Kailash Sharma said...

बहुत प्यारी और भावपूर्ण प्रस्तुति....

Unknown said...

बहुत खूब।

समर्थक

सम्मान पत्र

सम्मान पत्र