रचना चोरों की शामत

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कल्पना रामानी

Monday, 9 September 2013

मंगल मूरत गणपति देवा


गणपति के लिए चित्र परिणाम
देवों में जो पूज्य प्रथम है, शीघ्र सँवारे सबके काम।
मंगल मूरत गणपति देवा, है वो पावन प्यारा नाम।
 
भक्ति भरा हर मन हो जाता, भादों शुक्ल चतुर्थी पर
सुंदर सौम्य सजी प्रतिमा से, हर घर बन जाता है धाम।
 
भोग लगाकर पूजा होती, व्रत उपवास किए जाते
गणपति जी की गाई जाती, आरति मन से सुबहो शाम।
 
चल पड़ती जब सजकर झाँकी, ढोल मँजीरे साथ लिए
झूम उठता यौवन मस्ती में, सड़कों पर लग जाता जाम।
 
फिर फिर से हर साल विराजें, देव, यही अभिलाषा है
विनती हो स्वीकार हमारी, करते बारम्बार प्रणाम।


-कल्पना रामानी

10 comments:

surenderpal vaidya said...

भगवान गणेश की भक्ति में डूबी बहुत खूबसूरत गज़ल कल्पना रामानी जी।
गणपति उत्सव की हार्दिक मंगल कामनाएं।

Unknown said...

वाह! बहुत ही सुन्दर! गणपति बप्पा मोरया!

Guzarish said...

दी बहुत हि खुबसूरत
आपकी यह रचना कल बुधवार (11-09-2013) को ब्लॉग प्रसारण : 113 पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
सादर

कविता रावत said...

बहुत सुन्दर भक्ति में डूबी गज़ल!!!
गणपति बप्पा मोरया!

annapurna said...

आदरनीया कल्पना दीदी आर भावों से एवं भक्ति पूरित रचना , आपको बहुत बधाई ।

Unknown said...

sunder prstuti jee

Unknown said...

Its awesome...

Unknown said...

बहुत ही सुन्दर गज़ल ....

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर भक्तिमय प्रस्तुति...गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं...

Unknown said...

बहुत सुन्दर ग़ज़ल गणपति पर्व का साक्षात्कार करा दिया। बधाई।

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