सुर बिन साज़ बजाना कैसा
बिना रागिनी गाना कैसा?
भू का नम आँचल निचोड़कर
आँगन फूल खिलाना कैसा?
घोंट सुता का गला गर्भ में
बाहर रुदन मचाना कैसा?
पापों-पूरित, तन-चादर पर
राम-नाम खुदवाना कैसा?
यदि जीवन में प्रेम नहीं तो
जीना क्या, मर जाना कैसा?
खेत चुग लिया जब चिड़ियों ने
तब अंकुश लहराना कैसा?
झेले पीर बुजुर्गी घर में
मंदिर पीर मनाना कैसा?
कहे 'कल्पना', सच ही तो वो
दर्पण को धमकाना कैसा?
-कल्पना रामानी
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