ग्रीष्म ऋतु में संगिनी सी, नीम की शीतल हवा
दोपहर में यामिनी सी, नीम की शीतल हवा झौंसते वैसाख में, आती अचानक झूमकर सब्ज़-वसना कामिनी सी, नीम की शीतल हवा ख़ुशबुएँ बिखरा बनाती, खुशनुमाँ पर्यावरण शांत कोमल योगिनी सी, नीम की शीतल हवा खिड़कियों के रास्ते से, रात में आती सखी मंत्र-मुग्धा मोहिनी सी, नीम की शीतल हवा तप्त सूरज रश्मियों को,ढाल बनकर रोकती भोर में इक रागिनी सी, नीम की शीतल हवा बाँटती जीवन, बिठाती गोद में हर जीव को प्यार करती भामिनी सी, नीम की शीतल हवा रोग दोषों को मिटाती, फैलकर इसकी महक बाग वन में शोभिनी सी, नीम की शीतल हवा - कल्पना रामानी |
रचना चोरों की शामत
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Thursday, 4 July 2013
नीम की शीतल हवा//गज़ल//
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1 comment:
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,अभार।
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