रचना चोरों की शामत

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कल्पना रामानी

Tuesday, 21 May 2013

ठंडी हवा हर पेड़ की//गज़ल//




















गर्मियों की शान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।
धूप में वरदान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।
 
हर पथिक हारा थका, पाता यहाँ विश्राम है,
भेद से अंजान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।
 
नीम, पीपल, हो या वट, रखते हरा संसार को,
मोहिनी, मृदु गान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।
 
हाँफते विहगों की प्यारी, नीड़ इनकी डालियाँ,
और इनकी जान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।
 
रुख बदलती है मगर, रूठे नहीं मुख मोड़कर,
सृष्टि का अनुदान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।
 
जो न साधन जोड़ पाते, वे शरण पाते यहाँ,
दीन का भगवान है, ठंडी हवा हर पेड़ की।
 
हे मनुज मिटने न दो, जीवन के अनुपम स्रोत को,
गूढ़ यह विज्ञान है, ठंडी हवा हर पेड़ की। 



--------कल्पना रामानी

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