नई
सदी की हवा बंधुओं ऐसी होगी
बेटों
से भी धनी आज की बेटी होगी।
मिटा
माथ से अब अपने ‘अबला’ का लेबल
दुर्गा, काली, या ‘झाँसी की रानी’ होगी।
अब अधिकार नहीं होगा मर्दों का केवल
अब अधिकार नहीं होगा मर्दों का केवल
कुर्सी
पर काबिज हक़ से नारी भी होगी।
बोलेंगे
हड़ताल अनशन बेटी के हक़ में
समाचार-पत्रों
पर ‘बिटिया’ छाई होगी।
कुत्सित
नज़रें छू भी लें अगर, बिटिया को तो
उन
नज़रों को अपनी आब गँवानी होगी।
करने समर्पित, बेटी को यह सदी ‘कल्पना’
नित्य
कलम को नूतन ग़ज़ल रचानी होगी।
-कल्पना रामानी
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