रचना चोरों की शामत

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कल्पना रामानी

Tuesday, 12 April 2016

आज की बेटी

नई सदी की हवा बंधुओं ऐसी होगी
बेटों से भी धनी आज की बेटी होगी।

मिटा माथ से अब अपने अबलाका लेबल
दुर्गा, काली, या झाँसी की रानीहोगी।

अब अधिकार नहीं होगा मर्दों का केवल 
कुर्सी पर काबिज हक़ से नारी भी होगी।

बोलेंगे हड़ताल अनशन बेटी के हक़ में
समाचार-पत्रों पर बिटियाछाई होगी।

कुत्सित नज़रें छू भी लें अगर, बिटिया को तो   
उन नज़रों को अपनी आब गँवानी होगी।

करने समर्पित, बेटी को यह सदी कल्पना
नित्य कलम को नूतन ग़ज़ल रचानी होगी। 

-कल्पना रामानी

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