रचना चोरों की शामत

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कल्पना रामानी

Thursday, 4 April 2013

ऐ हवा रंगों नहाओ/आ गया फागुन


ऐ हवा, रंगों नहाओ, आ गया फागुन।
धूम मौसम की मचाओ, आ गया फागुन।
 
देश से रूठी हुई है, रात पूनम की
चाँद को जाकर मनाओ, आ गया फागुन।
 
वन चमन के फूल आतुर, देख लो कितने
नेह न्यौता देके आओ, आ गया फागुन। 
 
फिर रहे हैं मन-मुदित सब, बाल बगिया में
झूलना उनका झुलाओ, आ गया फागुन।
 
साज हैं, सरगम भी है, तैयार हैं घुँघरू  
तुम सखी, शुभ गीत गाओ, आ गया फागुन।
 
खग, विहग-वृंदों के जाकर, कान में कह दो
मोर कोयल को जगाओ, आ गया फागुन।
 
तान पिचकारी खड़ी है, द्वार पर होली
प्रेम की गंगा बहाओ, आ गया फागुन।


-कल्पना रामानी  

1 comment:

Rajendra kumar said...

आपको भी सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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