रिश्तों में सबसे प्यारी, लगती है दोस्ती।
मजबूत रिश्ते सारे करती है दोस्ती।
जीवन को अर्थ देती, बिन स्वार्थ के सदा
बेदाम प्रेम का दम, भरती है दोस्ती।
जब-जब भी घेरता तम, दिल
के दिये बुझा
तब-तब दिलों
को रोशन करती है दोस्ती।
जब
छोड़ सब सहारे, जाते हैं तोड़ दिल
हर
मोड पर सहारा बनती है दोस्ती।
यदि मित्र साथ हों तो, होती गमों की हार
हर हाल में हरिक गम, हरती है दोस्ती।
मासूम मन चमन का, यह फूल जानिए
पाकर के स्पर्श स्नेहिल, खिलती है दोस्ती।
मित्रों पे कीजिये सदैव नाज़ 'कल्पना'
किस्मत से ज़िंदगी में, मिलती है दोस्ती।
-कल्पना रामानी
4 comments:
दोस्ती पर बहुत सुन्दर ग़ज़ल ,,,दोस्ती का गाना ....मेरी दोस्ती मेरा प्यार ....याद आ गया !
बेटी बन गई बहू
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''बुझते दिलों को रौशन करती है दोस्ती''
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बेहद लाज़वाब कृति दीदी जी आपकी ''वाकई'' दोस्ती दोस्ती है। बस पाक़ और पवित्र रूप से इस रिश्ते को निभाना आना चाहिए।
बहुत पहले ''दोस्ती'' पे कुछ मन के जज़्बात उभरी थी, सो आपके ख़िदमत में :
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दोस्ती एक जज़्बा है,
इसे कायम रखना ॥
दोस्ती अनमोल रिश्ता है,
इसे कभी न तोड़ना ॥
दोस्ती एहसास है,
इसे कभी ख़त्म न करना ॥
दोस्ती पाक-पवित्र है,
इसे बदनाम न करना ॥
दोस्ती निभा सको, तो करो,
वरना वक़्त बर्बाद न करना ॥
--अभिषेक कुमार 'अभी''
प्रिय अभिषेक, बहुत खरी बात कही आपने! दोस्ती का नाम लेते ही जो पवित्र भावना जन्म लेती है, उसकी तुलना अन्य किसी रिश्ते से नहीं की जा सकती। लेकिन खरे दोस्त ज़िंदगी में बहुत कम मिलते हैं। आपका स्नेह यूं ही बना रहे। आपका ब्लॉग पर आना अति उत्साह से भर देता है। आपकी सदाशयता के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!
उम्दा ग़ज़ल
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