हो
गई मौसम बदलने, की मुनादी सूर्य की
चल
पड़ी उत्तर दिशा में, अब सवारी सूर्य की
गा
उठी हर इक दिशा,
बाँधा हवाओं ने समाँ
आज
होगी आसमाँ में, मुँह दिखाई सूर्य की
जीत
नभ उड़ती पतंगें देख पुलकित हो रहीं
डोर
कर में थामकर किरणें नवेली सूर्य की
रात
रख देगी रज़ाई, अब तहा तहख़ानों में
दिन
बढ़ेंगे देख तिल-तिल, रहनुमाई सूर्य की
जड़
बने सोए जो कल तक, ज़िंदगी के अंश थे
जाग
उठे हैं जानकर, अब मेहरबानी सूर्य की
युग-युगों
करती रहेंगी राज ऋतुएँ धरती पर
और
धरती परिक्रमा करती रहेगी सूर्य की
हाथ
तिल-गुड़, रेवड़ी ले, सुन रहे बच्चे मगन
जो
सुनाई ‘कल्पना’ मैंने कहानी सूर्य की
--कल्पना रामानी
1 comment:
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
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