tag:blogger.com,1999:blog-6288547473446780394.post2134364835212019089..comments2023-09-03T07:09:08.268-07:00Comments on कल्पना रामानी की ग़ज़लें : छीन सकता है भला कोई किसी का क्या नसीब कल्पना रामानीhttp://www.blogger.com/profile/17587173871439989311noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6288547473446780394.post-58787349205126386822014-05-18T01:04:52.261-07:002014-05-18T01:04:52.261-07:00बहुत सुन्दर प्रस्तुती........बहुत सुन्दर प्रस्तुती........Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09379044756044741129noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6288547473446780394.post-15691615781866583672014-05-16T08:08:05.257-07:002014-05-16T08:08:05.257-07:00दीप जल सबके लिए, पाता है केवल कालिमा,
पर जलाते जो ...दीप जल सबके लिए, पाता है केवल कालिमा,<br />पर जलाते जो उसे, पाते उजालों का नसीब। <br /><br />शुभ कर्मों से लिखना होगा अपना नसीब।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6288547473446780394.post-50150074698199388832014-05-16T00:34:32.011-07:002014-05-16T00:34:32.011-07:00कल्पना’ फिर द्वेष कैसा, दूसरों के भाग्य से,
क्यों ...कल्पना’ फिर द्वेष कैसा, दूसरों के भाग्य से,<br />क्यों न शुभ कर्मों से लिक्खें, हम स्वयं अपना नसीब। <br />.........बहुत सही अपना नसीब अपने हाथ में <br /> कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.com